इसे तुम कविता नहीं कह सकते (#poetry) Podcast Por Lokesh Gulyani arte de portada

इसे तुम कविता नहीं कह सकते (#poetry)

इसे तुम कविता नहीं कह सकते (#poetry)

De: Lokesh Gulyani
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Acerca de esta escucha

Spoken word poetry in Hindi by Lokesh GulyaniCopyright Lokesh Gulyani Ciencias Sociales Filosofía
Episodios
  • Episode 39 - बेवकूफ़ DNA
    Jun 17 2025
    मैं लाइटर रगड़ कर चिंगारी निकाल लेता हूं और उससे मानवजाति के पूर्वजों को श्रद्धांजलि देता हूं।
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    3 m
  • Episode 38 - बस दो मिनट
    May 14 2025
    कहीं-कहीं किसी दीवार, खिड़की या घर को देखकर ऐसा भी लगता है, जैसे मैं यहां पहले भी आया था। इस खिड़की से मैंने भी कभी बाहर को झांका था, घाटी में आवाज़ दी थी। इस दरवाज़े से बाहर निकलते वक्त, आवारा हवा मेरे भी बालों से टकराई थी। इस दीवार पर थक कर कभी मैंने भी पीठ टिकाई थी।
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    4 m
  • Episode 37 - सबसे गुस्सा
    May 1 2025
    पूरे घर में वो एक कोना मय्यसर नहीं की मैं सुकून से बैठ कर कुछ पलों के लिए अपनी आँखें बंद कर सकूं। आँखें बंद करने पर चिंताओं की छाया डोलने लगती है, इसलिए मैं आँखें खुली रखता हूं।
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    4 m
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